Pages

Thursday 12 June 2014

है अपनी कोई चाह नही

है अपनी कोई चाह नही
दुनिया की परवाह नहीं

देख समंदर इतना गहरा
है जिसकी कोई थाह नही

दर्द  के मारे दोहरा था, पर
निकली उसकी आह नही

बड़े हुलस के मिलने जाऊं 
अपना ऐसा भी उत्साह नहीं

मुकेश तेरे दर पर आना है
ये इतनी भी आसाँ राह नहीं

मुकेश इलाहाबादी ------------

No comments:

Post a Comment