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Thursday 19 June 2014

आओ हंसा हंसाया जाए

आओ हंसा हंसाया जाए
ग़म को दूर भगाया जाए

जंहा नदियां नहीं बहतीं
वहाँ  नहर निकला जाए

दुनिया पत्थर की हो गयी
ख़ुद को मोम बनाया जाए

धूप ने गुलशन जला दिया
कुछ नए फूल खिलाया जाए

तुम्हारी बोली बानी मीठी है
चेहरे से नमक चुराया जाए

मुकेश इलाहाबादी -----------

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