Pages

Friday 20 June 2014

कहो तो अपना सन्नाटा बाँट दूँ

कहो तो अपना सन्नाटा बाँट दूँ
सीली दीवार उजड़ा कमरा बाँट दूँ

उम्र भर साथ -साथ रहने के बाद
क्या क्या भला बुरा कहा बाँट दूँ

मेरे पास थोड़ी खुशी ढेरों ग़म हैं
 
अपने सीने में फैला धुँआ बाँट दूँ 

तुम भले आदमी लगते हो दोस्त
गर सुनो तो अपना दुखड़ा बाँट दूँ

तुम भी तो बहुत तनहा हो मुकेश
तुम्हे भी यादों का खिलौना बाँट दूँ

मुकेश इलाहाबादी ----------------

No comments:

Post a Comment