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Wednesday 4 June 2014

यादों के सिवा कोई और असबाब नहीं है

यादों के सिवा कोई और असबाब नहीं है
ये वो रात है जिसकी कोई सुबह नहीं है
ऐ दोस्त, मुकेश वो फ़क़ीर मुसाफिर है 
जिसके पास ग़ज़ल के सिवा कुछ नहीं है
मुकेश इलाहाबादी -----------------------

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