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Monday 16 June 2014

बादलों की राह चला हूँ

बादलों की राह चला हूँ
बुझाने मै प्यास चला हूँ

मासूम ज़िद्दी खूबसूरत
साथी के साथ चला हूँ

कोई साथ हो कि न हो
मै अपनी राह चला हूँ

मंज़िल ज़ेरे क़दम थी
मै सुबहो शाम चला हूँ  

राह फ़क़ीरी में मुकेश
मै अपने आप चला हूँ

मुकेश इलाहाबादी ----

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