एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Friday, 11 July 2014
इज़हारे मुहब्बत को सिर्फ इक मुस्कान काफी है
इज़हारे मुहब्बत को सिर्फ इक मुस्कान काफी है
वरना लिखते रहिये ख़त सुबहो शाम ना काफ़ी है
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment