Pages

Saturday 19 July 2014

आज जी भर के देख लेने दो

आज जी भर के देख लेने दो
दिल को तसल्ली कर लेने दो

तेरे पहलू में ज़न्नत होती है
पल दो पल तो ठहर लेने दो 

ये धड़कने भी कुछ कह रही हैं
ज़रा इनकी भी तो सुन लेने दो

तू चश्मे हयात लिए फिरती है
खुश्क होठो को तर कर लेने दो

गर सफर ऐ ज़ीस्त में तू नहीं 
मुकेश को तन्हा ही रह लेने दो

मुकेश इलाहाबादी ---------------

No comments:

Post a Comment