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Wednesday 13 August 2014

अपनी बेचैनियों को वे तबीयते नासाज़ समझते हैं

अपनी बेचैनियों को वे तबीयते नासाज़ समझते हैं
मुकेश उन्हें क्या पता इसी को तो मुहब्बत कहते हैं
मुकेश इलाहाबादी --------------------------------------

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