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Thursday 18 September 2014

तू न सही तेरी ये आँखें बोलती हैं

तू न सही तेरी ये आँखें बोलती हैं
सादगी तेरी सर चढ़ के बोलती है
चम्पई -चम्पई रंग,फूल सा चेहरा
तितली के पंख सी पलकें बोलती हैं
जब तुम कुछ नहीं कह रही होती हो
तब तुम्हारी मरमरी बाहें बोलती हैं
तुम हमसे गूफ्तगू नहीं करतीं हो
तुम्हारी महकती साँसे बोलती हैं
जब तन्हाइयों में दिल नहीं लगता
मुकेश हमसे तुम्हारी यादें बोलती हैं

मुकेश इलाहाबादी ----------------------

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