Pages

Wednesday 17 September 2014

लोग सुन रहे हैं कहानियां गली -गली

लोग सुन रहे हैं कहानियां गली -गली
मशहूर है मेरी बदनामियाँ गली-गली

ज़माना भी न मिटा पायेगा मेरा वज़ूद
कि फ़ैली है मेरी निशानियाँ गली- गली

बेशक़ बेदखल करके खुश हैं कुछ लोग
मेरे नाम पे फ़ैली है उदासियाँ गली गली

मेरा कुशूर था सच बोलने भर का, पर  
ख़िलाफ़ में लगी हैं तख्तियां गली-गली

जब से विरोध में उठा है हाथ मुकेश का
तानाशाह ने बढ़ा दी शख्तियाँ गली-गली  

मुकेश इलाहाबादी ------------------------


No comments:

Post a Comment