नदी पे इक पुल बनाया जाए
दो साहिलों को मिलाया जाए
दरख़्त सूख चुके हैं रिश्तों के
आ उन्हें हरा भरा किया जाए
प्यार मुहब्बत से मिलजुल के
आपसी रंजिश दूर किया जाए
तुम्हारी खुशियों भरी रात, मेरी
उदास ग़ज़लें सुना सुनाया जाए
मुकेश आये हो तो कुछ देर बैठो
साथ - साथ चाय तो पिया जाए
मुकेश इलाहाबादी ---------------
दो साहिलों को मिलाया जाए
दरख़्त सूख चुके हैं रिश्तों के
आ उन्हें हरा भरा किया जाए
प्यार मुहब्बत से मिलजुल के
आपसी रंजिश दूर किया जाए
तुम्हारी खुशियों भरी रात, मेरी
उदास ग़ज़लें सुना सुनाया जाए
मुकेश आये हो तो कुछ देर बैठो
साथ - साथ चाय तो पिया जाए
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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