दर्द ख़ुद ही जुबां हो गयी
ज़ुल्म की इंतहां हो गयी
बर्फ की इक नदी थे हम
तेरे प्यार में रवां हो गयी
ग़म हमारा सबके लिए
मज़े की दास्तां हो गयी
तुम हमसे मिल गए हो
हसरतें जवां हो गयीं
तेरी सादगी मेरा प्यार
अबतो हमनवां हो गयी
मुकेश इलाहाबादी -------
ज़ुल्म की इंतहां हो गयी
बर्फ की इक नदी थे हम
तेरे प्यार में रवां हो गयी
ग़म हमारा सबके लिए
मज़े की दास्तां हो गयी
तुम हमसे मिल गए हो
हसरतें जवां हो गयीं
तेरी सादगी मेरा प्यार
अबतो हमनवां हो गयी
मुकेश इलाहाबादी -------
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