जल्दी मै मायूस नहीं होता
बेवज़ह खामोश नहीं होता
यूँ तो रिन्द नहीं हूँ लेकिन
पी कर यूँ बेहोस नहीं होता
लोग दगा दे जाते हैं मगर
मुझे अफ़सोस नहीं होता
खोखले इंकलाबी नारों से
मेरे अंदर जोश नहीं होता
सीधे - सादे बहुत मिलेंगे
हर कोई मुकेश नहीं होता
मुकेश इलाहाबादी -------
बेवज़ह खामोश नहीं होता
यूँ तो रिन्द नहीं हूँ लेकिन
पी कर यूँ बेहोस नहीं होता
लोग दगा दे जाते हैं मगर
मुझे अफ़सोस नहीं होता
खोखले इंकलाबी नारों से
मेरे अंदर जोश नहीं होता
सीधे - सादे बहुत मिलेंगे
हर कोई मुकेश नहीं होता
मुकेश इलाहाबादी -------
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