एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 3 November 2014
आज भी मै,तेरी झील सी आँखों का तलबगार हूँ,
आज भी मै,तेरी झील सी आँखों का तलबगार हूँ,
ये देख समंदर लौट गया मेरी दहलीज पे आकर
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------
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