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Wednesday, 5 November 2014

एक और हंसी रात होगी

एक और हंसी रात होगी
चाँद तारों की बारात होगी

आज फिर दिन पिघलेगा
आज फिर बरसात होगी

लम्हा - लम्हा मुस्कुराएगा
जब तुमसे मुलाक़ात होगी

ये दूरियां सब मिट जाएंगी
दिल से दिल की बात होगी

हर सिम्त फूल महकेंगे,औ
खिली खिली क़ायनात होगी

मुकेश इलाहाबादी ------------

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