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Friday 7 November 2014

तुम्हारे पास भी कोई आईना नहीं है

तुम्हारे पास भी कोई आईना नहीं है
और मेरे पास सच का पैमाना नहीं है

तमाम उम्र गुज़र गयी तुझे ढूंढने में
तुम्हारे दर से कहीं और जाना नहीं है

तुझसे दिल मिल गया तो बता दिया
सबको अपनी दास्ताँ सुनाना नहीं है

तेरे मासूम चेहरे की रोशनी ही बहुत
मुझे कोई और चराग़ जलाना नहीं है

किसी से भी पूछ कर देख लेना मुकेश
शहर में हम जैसा कोई दीवाना नहीं है

मुकेश इलाहाबादी -----------------------

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