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Thursday 11 December 2014

आंसुओं के संग निकल गया

आंसुओं के संग निकल गया
जमा हुआ दर्द निकल गया

तुमको सब कुछ बता दिया
दिल का गुबार निकल गया

वो तन्हा घर में क्या करता
घर से बेवजह निकल गया

सूनी सड़क औ लम्बा रस्ता
फिर भी पैदल निकल गया

वापस लौट के नही आयेगा
मुकेश बहुत दूर निकल गया

मुकेश इलाहाबादी .........

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