एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 10 December 2014
दोस्त तुम्हारी यादें,
दोस्त
तुम्हारी यादें,
अंधरी रात में
जुगनू की रोशनी
जाड़े में
सुबह की नर्म धूप
तितलियों के
नाज़ुक पंख
फूलों की महक
चिड़ियों की चहक
सन्नाटे दिल की
सरसराहट, और
प्रेम में पगे
दिल की धड़कन
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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