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Monday, 22 December 2014

जैसेकी सावन आया लगता है

जैसेकी सावन आया लगता है
तुमसे मिल के ऐसा लगता है
दिन होली और रात दिवाली
हरदिन त्यौहार सा लगता है
जाडेकी धूप मे हमतुम बैठे हैं
देखो कितना अच्छा लगता है
तेरेे बालों मे तिनका अटका है
तेरा आशिक आवारा लगता है
जब जब तुम साथ में रहती हो
लम्हा लम्हा खुशनुमा लगता है
मुकेश इलाहाबादी ................

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