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Sunday 22 February 2015

नकाब उसका उलट जाता तो

नकाब उसका उलट जाता तो
एक और चॉद निकल आता तो

मै मोम के पर ले कर उडा था
धूपकी आंच से पिघल जाता तो

मै कतरा के निकल आया वर्ना
मुस्कुराके हाथ वह मिलाता तो

अच्छा हुआ मै उससे नही मिला
जख्म फिर से हरा हो जाता तो

तुम फिर दरवाजा बंद कर लेते
मुकेश गर मै लौट भी आता तो

मुकेश इलाहाबादी .....................

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