Pages

Wednesday, 18 March 2015

गौरैया खुश थी चोंच मे सतरंगी सपने लिये

गौरैया
खुश थी
चोंच मे सतरंगी सपने लिये
आसमान मे उड रही थी
उधर गिद्ध भी खुश था
गौरैया को देखकर
उसने अपनी पैनी नजरे गडा
मासूम गौरैया पे
और दबोचना चाहा अपने खूनी पंजे मे
गौरैयाए, घबरा के भागी
पर कितना भाग पाती ??
आखिर गिद्ध के पंजे मे आ ही गयी

गौरैया फडफडा रही थी
रो रही थी

गिद्ध खुश था अपना शिकार पा के

कुछ देर बाद
गौरैया अपने नुचे और टूटे पंखों के साथ
लहूलुहान जमीं पे पडी थी
उसके सतरंगी सपने बिखरे पड़े थे

अभी भी
उपर,
नीले नही लाल आसमान मे
कुछ और गौरैया उड रही हैं
चोंच मे अपने सतरंगी सपने दबाये
जबकि कुछ और गिद्ध बेखौफ उड रहे हैं
अपना शिकार पाने के लिये

मुकेश इलाहाबादी ---------------

No comments:

Post a Comment