तेरे - मेरे हालात पे तब्सरा करूँ
क्या करूँ एक और रतजगा करूँ
क्या करूँ एक और रतजगा करूँ
दिल जुल्म सहने को राज़ी नही
और किससे किससे झगड़ा करूँ
और किससे किससे झगड़ा करूँ
हालत ऐ ज़िंदगी कैसे बदलेंगे ?
तू ही बता किससे मश्वरा करूँ
तू ही बता किससे मश्वरा करूँ
मौसम ने पत्थर भी तोड़ डाले
सर भी जा कर कहाँ फोड़ा करूँ
सर भी जा कर कहाँ फोड़ा करूँ
हर शख्स यहाँ ग़मज़दा मिला ?
मुकेश किससे दुखड़ा रोया करूँ
मुकेश किससे दुखड़ा रोया करूँ
मुकेश इलाहाबादी --------------
No comments:
Post a Comment