सूरज के साथ खड़ा हूँ
खाक होने पे तुला हूँ
उजाला गवाही दे देगा
संग चराग के जला हूँ
मील के पत्थर सा मै
आज भी वहीं गड़ा हूँ
तेरे दिल ऐ कंगन में
मै नगीने सा जड़ा हूँ
खुश्बूओं से पूछ लो
फूल सा मै खिला हूँ
मुकेश इलाहाबादी ---
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