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Thursday 24 September 2015

सबसे प्यारा गुड्डा गुम हो जाए,

जैसे 
किसी गुड़िया का 
सबसे प्यारा गुड्डा 
गुम हो जाए,  
तमाम खिलौनों के बीच 
और,
बहुत ढूंढने पर न मिलने पर 
रो रो के सिर पे दुनिया उठा लिया हो 
बस,,,,, ऐसे ही किसी दिन 
तुम मुझे ढूंढो 
और, मै  
किसी छुपी हुई जगह से 
निकल के तुम्हे ' आईस - पाईस ' बोल कर 
तुम्हे चौंका दूँ  

या कि ,
अचानक किसी दिन 
तुम मुझे न दिखो तो 
मै तुम्हे ढूंढता फिरूँ 
जैसे 
कोई बच्चा ढूंढता फिरे 
अपनी खोई हुई गेंद 
पार्क की झाड़ियों में 
पेड़ों के झुरमुट में 
या पार्क में बैठे लोगों के इर्द गिर्द 


या फिर 
तुम मुझे ऐसे ढूंढो 
जैसे 
माँ खोजती है अक्सर 
बाज़ार जाते वक़्त अपनी चप्पलें 
पलंग के नीचे 
अलमारी के पीछे या फिर 
इधर उधर 

या जैसे 
पापा ढूंढते हैं - हड़बड़ी में 
ऑफिस जाते वक़्त 
अपना चश्मा और रुमाल 

या की दादी बिस्तर से उतरने 
के पहले ढूंढती हैं अपने छड़ी 

बस ऐसे ही हम तुम ढूंढें और खोजें 
एक दूजे को एक दूजे के दिल में 

मुकेश इलाहाबादी ---------- 

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