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Friday 25 September 2015

जिस्म से रूह सीने से दिल निकल जाता है

जिस्म से रूह सीने से दिल निकल जाता है
तुझे बेनक़ाब देखूं  तो  दिल मचल जाता है
संभल - संभल  के  पाँव तेरे दर पे रखता हूँ
फिर भी जाने क्या बात है फिसल जाता हूँ

मुकेश इलाहाबादी --------------------------

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