नींद घिर आयी आँखों मे
खाब हुए स्याही आँखों मे
न ढूंढो हीरे मोती, ढूंढ लो
खारा पानी मेरी आँखों में
पारा हुआ काजल हूँ मै
लगा लो अपनी आँखों में
घुल जाऊँ नमक बन, जो
सागर है तुम्हारी आखों में
डूब जाने दो मुझको, तुम
इन छलछलाती आँखों में
मुकेश इलाहाबादी -------
खाब हुए स्याही आँखों मे
न ढूंढो हीरे मोती, ढूंढ लो
खारा पानी मेरी आँखों में
पारा हुआ काजल हूँ मै
लगा लो अपनी आँखों में
घुल जाऊँ नमक बन, जो
सागर है तुम्हारी आखों में
डूब जाने दो मुझको, तुम
इन छलछलाती आँखों में
मुकेश इलाहाबादी -------
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