फूल हूँ कोई खिला के देखे तो
जुड़े में अपने लगा के देखे तो
चांदनी सा बिछ जाऊँ मै भी
कोई, महताब बना के देखे तो
तीरगी - ऐ - ज़ीस्त मिटा दूँगा
चराग़ हूँ कोई जला के देखे तो
सूरज सा मै माथे पे चमकूँगा
कोई, बिंदिया बना के देखे तो
मुकेश इलाहाबादी -----------
जुड़े में अपने लगा के देखे तो
चांदनी सा बिछ जाऊँ मै भी
कोई, महताब बना के देखे तो
तीरगी - ऐ - ज़ीस्त मिटा दूँगा
चराग़ हूँ कोई जला के देखे तो
सूरज सा मै माथे पे चमकूँगा
कोई, बिंदिया बना के देखे तो
मुकेश इलाहाबादी -----------
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