मैंने शहर छोड़ा वो लिपट के रोया नहीं
उसने ज़ुबाँ सिल ली थी कुछ बोला नहीं
मैं भी तो कहाँ जाना चाहता था छोड़ के
मैं ज़िद्दन रुका नहीं उसने भी रोका नहीं
मुकेश इलाहाबादी ----------
उसने ज़ुबाँ सिल ली थी कुछ बोला नहीं
मैं भी तो कहाँ जाना चाहता था छोड़ के
मैं ज़िद्दन रुका नहीं उसने भी रोका नहीं
मुकेश इलाहाबादी ----------
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