एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Wednesday 11 May 2016
प्यास सोचती है
अक्सर
प्यास सोचती है
समंदर के बारे में
जो हरहराता है
शान से अपने
पूरे खारेपन के साथ
बिना उसकी परवाह किये
मुकेश इलाहाबादी ---
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment