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Wednesday 11 May 2016

प्यास सोचती है

अक्सर
प्यास सोचती है
समंदर के बारे में
जो हरहराता है
शान से अपने
पूरे खारेपन के साथ
बिना उसकी परवाह किये

मुकेश इलाहाबादी ---

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