घात लगाये बेजुबानों पे
बैठे हैं शिकारी मचानो पे
गर आप खरीदना चाहो?
सच मिलता है दुकानों पे
ज़ुल्म हमेशा होता आया
सिर्फ ईश्क के दीवानों पे
मुकेश इलाहाबादी ----
बैठे हैं शिकारी मचानो पे
गर आप खरीदना चाहो?
सच मिलता है दुकानों पे
ज़ुल्म हमेशा होता आया
सिर्फ ईश्क के दीवानों पे
मुकेश इलाहाबादी ----
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