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Sunday 7 August 2016

ज़मी ने चॉद से कहा,

सुमी,
जानती हो?
एक दिन
ज़मी ने चॉद से कहा,
‘तुम मेरे बहुत बहुत प्यारे दोस्त हो पर तुम मुझे अर्हिनिश निहारते रहते हो देखते रहते हो पर जब मेरे और तुम्हारे बीच मे बादल आ जाते हैं और तुम मुझे देख नही पाते हो, तब तुम मुझे कैसे महसूसते हो पहचानते हो?
चॉद पहले मुस्कुराया फिर हॅसा और बोला ‘ मै तुम्हे तुम्हारे रुप के अलावा तुम्हे तुम्हारी गंध से पहचान लेता हूं। तुम्हारे बदन से गेंदा, गुलाब, गुलमोहर और तमाम तमाम फूलों के अलावा जो माटी की सोंधी सोंधी महक आती है मै उससे तुम्हे पहचान लेता हूं।
ज़मी ये सुन के खिलखिलाने लगी, इतराने लगी, बाली ‘ और इसी लिये तो ज़मीन, धरती, वसुधा आदि आदि नामों के अलावा मेरा एक नाम ‘गन्धा’ भी है।
चॉद ने कहा ‘ हूॅ ! जानता हूं प्रिये’
फिर ज़मी ने कहा ‘अच्छा ये बताओ जैसेे मुझमे तमाम खुशबुऐं हैं तो कया तुममे भी कोई खुशबू है? और अगर है तो मै कैसे जानूं कि तुम भी मेरी तरह महकते हो‘।
चॉद ने कहा ‘अच्छा ! ऐसी बात, तो तुम अपनी अंजुरी फैलाऔ, ज़मी ने अपनी अंजुरी मे ऑचल लपेट के चॉद के सामने कर दिया।
चॉद ने ज़मी के ऑचल मे सुगंध के कुछ बीज छितरा दिये।
और कहा ‘प्रिये ! आज के बाद से मै धरती पे इन फूलों के रुप मे अपनी सुगंध के साथ खिलूंगा उगूंगा। और तुम्हारे आस पास महकता रहूंगा।
ज़मी खुष हो गयी। हंसने लगी मुस्कुराने लगी नाचने लगी अपनी धुरी पे जोर जोर से।
तभी से कुछ लोग कहते हैं । धरती पे चॉद रातरानी और रजनीगंधा के रुप मे खिलता है महकता है गमकता है। जैसे चॉद सिर्फ रात को उगता हैं
बस ! सुमी, देखना एक दिन मै भी जब फ़ना हो जाउंगा। इस ज़मी से तब मै भी रजनीगंध और रातरानी से खिलूंगा और महकूंगा तुम्हारी सॉसों मे और फिर कभी भी कभी भी तुमसे जुदा नही हाउूंगा कभी भी नहीं।
मेरी प्यारी सुमी सुन रही हो न?
या फिर आज भी तुम सो गयी हो थक कर। न जाने किसके इंतजार में?
शायद मेरे रकीब के इंतजार में?
खैर कोई बात नही मेरी प्यारी सुमी।

बॉय बॉय बॉय
मुकेश इलाहाबादी ..

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