मै,
कोई नजूमी तो नहीं
जो तेरे हाथों की
लकीरें पढ सकूं
हॉ,
मै तेरी खामोश निगाहों
और,
धडकती सॉसो को पढने
का हुनर जरुर रखता हूं
कोई नजूमी तो नहीं
जो तेरे हाथों की
लकीरें पढ सकूं
हॉ,
मै तेरी खामोश निगाहों
और,
धडकती सॉसो को पढने
का हुनर जरुर रखता हूं
‘नजूमी ... हाथ देखने वाला ज्यातिषी’
मुकेश इलाहाबादी...
मुकेश इलाहाबादी...
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