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Wednesday 14 September 2016

टूटे हुए परों को जोड़ कर

टूटे हुए परों को जोड़ कर
उडा रहा हूँ कुछ सोच कर
अपनी सूरत देखता हूँ मै
टुकड़े आईने के जोड़ कर
वो मिल गया था रस्ते में
की बातें उसको रोक कर
आओ प्यार की बातें करें
शिकवे शिकायत छोड़कर
रात फिर सो गया तनहा
मुकेश यादें तेरी ओढ़ कर
मुकेश इलाहाबादी ------

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