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Friday, 23 September 2016

रात के पाले में चाँदनी आयी

रात के
पाले में चाँदनी आयी
मैं,
दिन सा ऊगा
मेरे हिस्से
सूरज की गर्मी आयी

तुम,
फूल सा  खिलीं  तुम निकले
लपेटे खुशबू का हिज़ाब
हम खार थे
हमारे हिस्से
फ़क़त  उरियानी आयी

तुम,
घर से निकले
क़दमों तले दिल बिछ गए
मेरा साथ देने
सिर्फ, तन्हाई आयी

मुकेश इलाहाबादी -------

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