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Tuesday, 31 January 2017

दरिया ऍ ईश्क में बहना चहता हूँ

दरिया ऍ ईश्क में बहना चहता हूँ
तुम्हारी आँखों ने डूबना चहता हूँ
तमाम अनकहे किस्से हैं मेरे पास
तुम्हे अपने तजर्बे सुनाना चाहता हूँ
चला जाऊँगा फिर ये शहर छोड़ के
सिर्फ इक बार तुझसे मिलना चहता हूँ
मुकेश इलाहाबादी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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