क्या अच्छा है, क्या बुरा है, बता देता है
वक़्त, इंसान को सब कुछ सिखा देता है
राजा हो रंक हो की आलिम - फ़ाज़िल हों
वक़्त इक दिन सब को ख़ाक बना देता है
तुम किसी भी धातु के कलम से लिख लो
मुकेश बाबू वक़्त हर तहरीर मिटा देता है
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
No comments:
Post a Comment