एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Thursday, 26 January 2017
वक़्त तुम तक आ के ठहर गया हो जैसे
वक़्त
तुम तक आ के
ठहर गया हो जैसे
तुम,
पहले भी प्यारी लगती थी
तुम,
अब भी, प्यारे लगते हो
मुकेश इलाहाबादी --------
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