Pages

Saturday 25 February 2017

जब, तुम ठुनकते हुए जब नाराज़ होती हो --

जब,
तुम
ठुनकते हुए जब
नाराज़ होती हो
हमें मालूम है
तब तुम लाड़ में होती हो

जब कभी तुम
चुप चाप होती हो
हमें मालूम होता है
अंदर ही अंदर कोई
दर्द पीती रहती हो

हमें मालूम होता है,
तुम कब दर्द में होती हो
तुम कब प्यार में होती हो

गर नहीं मालूम तो ये
तुम किसके प्यार में होती हो ?

सुमि !!!

मुकेश इलाहाबादी --------

नाराज़ होती हो
हमें मालूम है
तब तुम लाड़ में होती हो

जब कभी तुम
चुप चाप होती हो
हमें मालूम होता है
अंदर ही अंदर कोई
दर्द पीती रहती हो

हमें मालूम होता है,
तुम कब दर्द में होती हो
तुम कब प्यार में होती हो

गर नहीं मालूम तो ये
तुम किसके प्यार में होती हो ?

सुमि !!!

मुकेश इलाहाबादी --------

No comments:

Post a Comment