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Thursday 16 February 2017

दिले गुलशन उजाड़ के बिलखता हुआ देख

दिले  गुलशन उजाड़ के बिलखता हुआ देख
तेरी यही तमन्ना है तो मुझे रोता हुआ देख

अगर तू  पत्थर है तो, इक बार छू ले मुझको
मुझे काँच सा छन्न - छन्न टूटता हुआ देख

सोचता हूँ  मैं भी, इक दिन सूरज बन जाऊँ
तू ज़मी पे रहके, मुझको सुलगता हुआ देख

इक लम्हे को सही बेनक़ाब झरोखे पे तो आ
राह चलते हुए मुसाफिर को रुकता हुआ देख

मेरा वज़ूद फूलों की सिफ़त रखता है मुकेश
मसल दे पंखुरी - पंखुरी बिखरता हुआ देख

मुकेश इलाहाबादी ----------------------------

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