एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Thursday, 16 February 2017
इसी बात का गुनाहगार है
इसी बात का गुनाहगार है
दिल तेरा ही तलबगार है
बाहर - बाहर सर्द दिखेगा
ये दिल अंदर से अंगार है
मुकेश इलाहाबादी -------
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