एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday 29 May 2017
हवा में पुल
तुम्हारी
एक दुनिया है
मेरी
एक दुनिया है
एक दिन
उधर से
तुमने हँसी उछाली
इधर से
मै मुस्कुराया
और... एक पुल तामील हो गया
हवा में
और ! हम दोनों दौड़ के
लिपट गए इक दूजे से
और ,,, इस तरह लटकते रहे
हवा के पुल में
ख्वाब के टूटने तक
मुकेश इलाहाबादी ----------
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