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Sunday 28 May 2017

तेरे यादों की खिडकियाँ खोल दी

बेहद
अँधेरा था
उमस थी
घुटन थी
बेचैनी थी

तेरे यादों की खिडकियाँ खोल दी
तेरे नाम की धूप जला दी

अब
धूप है
हवा है
रोशनी है
खुशबू है

अब ! मै काफी शुकून में हूँ

मुकेश इलाहाबादी -----------

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