Pages

Thursday 1 June 2017

हमको ये तेरे झूठे वादे अच्छे नहीं लगते


हमको ये तेरे झूठे वादे अच्छे नहीं लगते
सच्चे फूल गुलदान में अच्छे नहीं लगते
जिस रोज़ से तेरा चेहरा तेरे गेसू देखे हैं
ये रात ये चाँद सितारे अच्छे नहीं लगते
ये शाम ये बादल ये मस्ती ये पुरनम हवा
तुम्हारे बिन हमको ये अच्छे नहीं लगते
मुकेश इलाहाबादी -----------------------

No comments:

Post a Comment