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Wednesday 28 June 2017

तुम्हारी आँखों का पानी शर्बती -शर्बती है

तुम्हारी आँखों का पानी शर्बती -शर्बती है
क्या तुम्हारी पलकों में कोई मीठी नदी है

जो भी तुझसे मिलता है तेरा हो जाता है,,
क्या तुम्हारे पास कोई जादू की छड़ी है ?

सच सच बता तू हाड मास की बनी है या
फ़लक़ से उतरी कोई अप्सरा या परी है ?

रिमझिम रिमझिम बारिस सा लगता है
क्या तेरे गेसुओं में कोई घटा या बदली है

तुम मुझसे कुछ बोलती नहीं कहती नहीं
तू सच मुच् रूठी है या ये गुस्सा नकली है


मुकेश इलाहाबादी -------------------------

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