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Thursday 27 July 2017

काफी रात गए तक वो जागती है

काफी रात गए तक वो जागती है
शायद किसी का इंतज़ार करती है

जब भी बात करना चाहता, हूँ तो
ज़ुबाँ से नहीं निगाहों से बोलती है

हर वक़्त ख़ुद को मसरूफ रख कर
अपने अंदर का खालीपन भरती है

मुकेश इलाहाबादी ---------------

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