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Sunday 9 July 2017

थोड़ा बहुत तो धड़कता है

थोड़ा  बहुत तो धड़कता है
प्यार करो तो डर लगता है

बैठे रहना गुपचुप गुपचुप
तुझको सोचू मन करता है

चंदा बादल बरखा बिजली
हर मौसम सावन लगता है

दुनिया के सारे सुख फीके
ईश्क़ ही सब कुछ लगता है


मुकेश इलाहाबादी -------

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