Pages

Sunday 2 July 2017

बड़े और बहुत बड़े आसमान से एक थोड़ा पर काफी बड़ा सा आसमान ले आया हूँ जिसे तुम्हारी पलकों पे रख देना चाहता हूँ रातरानी की ढेर सारी खुशबू से थोड़ी सी पर थोड़ी से कुछ ज़्यादा खुशबू मांग लाया हूँ जिसे तुम्हारी पलकों पे रख देना चाहता हूँ तितली से मांग लाया हूँ दो पर जिन्हे सजा देना चाहता हूँ तुम्हारी बाँहों पे ताकि तुम देख सको थोड़े से महकते सपने और उड़ कर आ सको मेरे पास सपनो में ही सही मुकेश इलाहाबादी -----------------


बड़े
और बहुत बड़े
आसमान से
एक थोड़ा पर काफी बड़ा सा आसमान
ले आया हूँ
जिसे तुम्हारी पलकों पे रख देना चाहता हूँ


रातरानी
की ढेर सारी खुशबू से
थोड़ी सी पर
थोड़ी से कुछ ज़्यादा खुशबू मांग लाया हूँ
जिसे तुम्हारी पलकों पे रख देना चाहता हूँ

तितली
से मांग लाया हूँ दो पर
जिन्हे सजा देना चाहता हूँ तुम्हारी बाँहों पे


ताकि तुम देख सको
थोड़े से महकते सपने और
उड़ कर आ सको मेरे पास सपनो में ही सही


मुकेश इलाहाबादी -----------------

No comments:

Post a Comment