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Friday 14 July 2017

तनहा रातों में हम आज भी मुस्कुराते है

तनहा रातों में हम आज भी मुस्कुराते है
जब भी तेरी यादों के सितारे जगमगाते हैं
यूँ तो तेरे बगैर जीने का कोई शबब न रहा
मुलाकात की इक उम्मीद में जिए जाते हैं

मुकेश इलाहाबादी ------------------------

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