Pages

Tuesday 25 July 2017

कभी गेंदा, तो कभी गुलाब याद आता है

कभी गेंदा, तो कभी गुलाब याद आता है
तुझे  देखता हूँ तो महताब याद आता है

समंदर से निकली जलपरी हो अप्सरा हो
जो भी हो तुझपे प्यार बेहिसाब आता है

मुकेश इलाहाबादी -----------------------

No comments:

Post a Comment