Pages

Wednesday 26 July 2017

रिक्त स्थान

प्रेम
से लबालब कविता का
भाव हो तुम
रस हो तुम

ओर
'मै' शब्दों के बीच का
खालीपन

इस खालीपन भर सकती है
न तो धूप
न हवा
न पानी
न वेद की ऋचाएँ
न कोई शुक्ति वाक्य

इस रिक्त स्थान को
भर सकती हैं तो, बस
तुम्हारी खिलखिलाती हँसी
और
मेरे प्रति तुम्हारे
'प्रेम'  की स्वीकृति

मुकेश इलाहाबादी ---------------


No comments:

Post a Comment